NotesWhat is notes.io?

Notes brand slogan

Notes - notes.io

Home | Set as homepage | Add to favorites | Rss / Atom | Archive

बड़ी खबर
बात करामात
परत-दर-परत
आमने-सामने
राजनीति
कारपोरेट मीडिया
बियाबान में शोर
जनता दरबार
भारत की कहानी
आदमीनामा
धर्म-अधर्म
ईसा
Home | बड़ी खबर | हिन्दू धर्म नहीं कलंक है, वेद पिशाचों का सिद्धांत हैं
हिन्दू धर्म नहीं कलंक है, वेद पिशाचों का सिद्धांत हैं
18 May, 2010 20:09;00एस. ए. अस्थाना
Font size:
अंबेडकर टुडे पत्रिका का मई अंक
उत्तर प्रदेश में बहुजन से सर्वजन की ओर जानें का दावा करनें वाली मायावती सरकार के संरक्षण में हिन्दुओं खासकर सवर्णों को बुरी तरह से अपमानित करनें का अभियान सा चल रहा है. इसका प्रत्यक्ष नजारा देखना हो तो ‘अम्बेडकर टुडे’ पत्रिका का मई- 2010 का ताजा अंक देखिए जिसके संरक्षकों में मायावती मंत्रिमण्डल के चार-चार वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के नाम शामिल हैं। इस पत्रिका के मई-2010 अंक का दावा है कि- ‘हिन्दू धर्म’ मानव मूल्यों पर कलंक है, त्याज्य धर्म है, वेद- जंगली विधान है, पिशाच सिद्धान्त है, हिन्दू धर्म ग्रन्थ- धर्म शास्त्र- धर्म शास्त्र- धार्मिक आतंक है, हिन्दू धर्म व्यवस्था का जेलखाना है, रामायण- धार्मिक चिन्तन की जहरीली पोथी है, और सृष्टिकर्ता (ब्रह्या)- बेटी***(कन्यागामी) हैं तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी- दलितों का दुश्मन नम्बर-1 हैं।

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित जौनपुर निश्चित रूप से सवर्ण बाहुल्य जनपद है। जौनपुर के कुल दस विधानसभा सीटों में से चार पर बसपा के सवर्ण ही चुनाव जीते हैं। इसी जनपद के मछलीशहर विधानसभा सीट से मायावती मंत्रिमण्डल के एक कुख्यात मंत्री सुभाष पाण्डेय चुनाव जीत कर मंत्री पद पर विराजमान हैं। इसी एक तथ्य से यह स्वतः स्पष्ट हो जाता है कि पूर्वांचल के इस जनपद के सवर्ण समाज नें खुले दिल से मायावती के ‘बहु प्रचारित सर्वजन’ की राजनीति का स्वीकार किया है। लेकिन हैरतअंगेज तथ्य तो यह भी है कि इसी जौनपुर जिला मुख्यालय से मात्र तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगौतीपुर (शीतला माता मंदिर धाम-चौकियाँ) से एक मासिक पत्रिका ‘अम्बेडकर टुडे’ प्रकाशित होती है जिसके मुद्रक-प्रकाशक एवं सम्पादक हैं कोई डाक्टर राजीव रत्न। डॉ0 राजीव रत्न के सम्पादन में प्रकाशित होनें वाली मासिक पत्रिका का बहुत मजबूत दावा है कि उसे बहुजन समाज पार्टी के संगठन से लेकर बसपा सरकार तक का भरपूर संरक्षण प्राप्त है और यह पत्रिका बहुजन समाज पार्टी के वैचारिक पक्ष को इस देश-प्रदेश के आम आदमी के सामनें लानें के लिए ही एक सोची-समझी रणनीति के तहत प्रकाशित हो रही है।

यही कारण है कि इस पत्रिका के सम्पादक डॉ0 राजीव रत्न अपनी इस पत्रिका के विशेष संरक्षकों में मायावती मंत्रिमण्डल के पांच वरिष्ठ मंत्रियों क्रमशः स्वामी प्रसाद मौर्य (प्रदेश बसपा के अध्यक्ष भी हैं।), बाबू सिंह कुशवाहा, पारसनाथ मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दकी, एवं दद्दू प्रसाद का नाम बहुत ही गर्व के साथ घोषित करते हैं। पत्रिका का तो यहाँ तक दावा है कि पत्रिका का प्रकाशन व्यवसायिक न होकर पूर्ण रूप से बहुजन आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर जन-जन तक पहुँचानें एवं बुद्ध के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए किया जा रहा है। बावजूद इसके पत्रिका के इसी अंक में कानपुर विकास प्राधिकरण, मुरादाबाद विकास प्रधिकरण, आवास बन्धु-आवास एवं शहरी नियोजन विभाग, नगर निगम- कानपुर, नगर पंचायत- जलालपुर-बिजनौर एवं अन्य कई स्थानों के लाखों रूपयों का विज्ञापन छपा हुआ है। जाहिर है बसपाई मिशन में जी-जान से लगी इस पत्रिका को लाखों रूपयों का विज्ञापन देकर बसपा सरकार ही इसे इसे फलनें-फूलनें का मार्ग सुगमता पूर्वक उपलब्ध करा रही है। इस पत्रिका के कथनी-करनी का एक शर्मनाक तथ्य तो यह भी है कि पत्रिका के सम्पादक जहाँ यह दावा करते थक नहीं रहे हैं कि पत्रिका का उद्देश्य व्यवसायिक नही है, वहीं पत्रिका के इसी अंक के पृष्ठ संख्या- 29 पर सम्पादक की तरफ से एक सूचना प्रकाशित की गई है कि- ‘अम्बेडकर टुडे’ पत्रिका के जिन कार्ड धारकों के कार्ड की वैद्यता समाप्त हो गई है या फिर जो लोग पत्रिका का कार्ड चाहते हैं वे पांच सौ रूपये का बैंक ड्राफ्ट या फिर पोस्टल आर्डर ‘अम्बेडकर टुडे’ के नाम देकर कार्ड प्राप्त कर सकते हैं।

इतना ही नहीं ‘बसपाई मिशन’ को अंजाम तक पहुँचानें में लगी इस पत्रिका के गोरखधंधे एवं इसके चार सौ बीसी का इससे ज्यादा ज्वलंत साक्ष्य और क्या होगा कि- पत्रिका के पृष्ट संख्या- (विषय सूची के पेज पर) पर भारत सरकार का सिम्बल ‘मोनोग्राम’ ‘अशोक का लाट’ छपा हुआ है। जबकि यह जग जाहिर है एवं संविधान में भी यह स्पष्ट है कि- ‘इस देश का कोई भी नागरिक, व्यवसायिक प्रतिष्ठान या फिर संस्था अपनें व्यवसाय या फिर संस्था में भारत सरकार क सिम्बल ‘अशोक के लाट’ का उपयोग नही कर सकता। बावजूद इसके प्रदेश सरकार एवं उसक वरिष्ठ मंत्रियों के संरक्षण में यह पत्रिका खुलेआम उपरोक्त नियमों-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए। ‘अशोक की लाट का प्रयोग धड़ल्ले से कर रही है। बसपाई मिशन में जी-जान होनें से जुटी इस पत्रिका के मई-2010 के पृष्ठ संख्या- 44 से पृष्ठ संख्या-55 (कुल 12 पेज) तक एक विस्तृत लेख ‘धर्म के नाम पर शोषण का धंधा- वेदों में अन्ध विश्वास’ शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। इस लेख के लेखक कौशाम्बी जनपद के कोई बड़े लाल मौर्य हैं (जिनका मोबाइल नम्बर- 9838963187 है।) इस लेख के कथित विद्वान लेखक बड़ेलाल मार्य नें वेदों में मुख्यतः अथर्व वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद के अनेकोनेक श्लोकों का कुछ इस तरह से पास्टमार्टम किया है कि- यदि आज भगवान वेद व्यास होते और विद्वान लेखक की विद्वता को देखते तो शायद वे भी चकरा जाते।

विद्वान लेखकों नें अथर्ववेद में उल्लिखित-वेदों में वशीकरण, मंत्र, वेदों में हिंसा (ऋग्वेद) आदि का कुछ इस तरह से वर्णन किया है कि लेखक के विचार को पढ़कर ही पढ़ने वाला शर्मशार हो जाए। लेखक का कथन है कि- देवराज इन्द्र बैल का मांस खाते थे (पृष्ठ संख्या- 53)। पृष्ठ संख्या- 53 पर ही दिया गया है कि वैदिक काल में देवताओं और अतिथियों को तो गो मांस से ही तृप्त किया जाता था। पृष्ठ संख्या-54 पर विद्वान लेखक का कथन प्रकाशित है कि- ‘वेदों के अध्ययन से कहीं भी गंभीर चिन्तन, दर्शन और धर्म की व्याख्या प्रतीत नहीं होती। ऋग्वेद संहिता में कहीं से ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि यह देववाणी है, बल्कि इसके अध्ययन से पता चलता है कि यह पूरी शैतानी पोथियाँ हैं। आगे कहा गया है कि- वेदों में सुन्दरी और सुरा का भरपूर बखान है, जो भोग और उपभोग की सामग्री है। पत्रिका के इसी अंक के पृष्ठ संख्या- 31 पर मुरैना-मध्यप्रदेश के किसी आश्विनी कुमार शाक्य द्वारा हिन्दुओं खाशकर सवर्णों की अस्मिता, मानबिन्दुओं, हिन्दू मंदिरों, हिन्दू धर्म, वेद, उपनिषद, हिन्दू धर्म ग्रन्थ, रामायण, ईश्वर, 33 करोड़ देवता, सृष्टिकर्ता ब्रह्या, वैदिक युग, ब्राह्यण, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, को निम्न कोटि की भाषा शैली में गालियाँ देते हुए किस तरह लांक्षित एवं अपमानित किया गया है इसके लिए देखें पत्रिका में प्रकाशित बॉक्स की पठनीय सामग्री।

उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार द्वारा पालित एवं वित्तीय रूप से पोषित ‘अम्बेडकर टुडे’ पत्रिका के इस भड़काऊ लेख नें प्रदेश में ‘सवर्ण बनाम अवर्ण’ के बीच भीषण टकराव का बीजारोपड़ तो निश्चित रूप से कर ही दिया है। पत्रिका के इस लेख पर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मात्र अस्सी किलोमीटर दूर रायबरेली में 14 मई को अनेक हिन्दू संगठनों नें कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए पत्रिका की होली जलाई जिस पर जिला प्रशासन नें पूरे इलाके को पुलिस छावनी के रूप में तब्दील कर दिया था। रायबरेली में स्थिति पर काबू तो पा लिया गया है पर यदि इसकी लपटें रायबरेली की सीमा से दूर निकली तो इस पर आसानी से काबू पाना मुश्किल होगा।

इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि-2007 के विधानसभा चुनाव के समय बसपा सुप्रिमों मायावती जिस ‘सोशल इन्जीनियरिंग’ कथित ‘सर्वजन’ के नारे के दम पर सवर्णों को आगे करके स्पष्ट बहुमत हाशिल कर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई थीं। उनका सर्वजन का वह फार्मूला लोकसभा चुनाव आते-आते फुस्स होकर रह गया। राजनीति के चौसर की मंजी खिलाड़ी मायावती को अंततः यह समझानें में देर नहीं लगी कि- 2007 के विधानसभा के जिस चुनाव में दलित-ब्राह्यण गठजोड़ के कारण प्रदेश में पूर्ण बहुमत के साथ उनकी सरकार सत्तारूढ़ हुई वहीं गठजोड़ लोकसभा चुनाव आते-आते बुरी तरह से बिखर गया। कारण स्पष्ट था कि सवर्णों के साथ मायावती की नजदीकियों के कारण दलित बसपा से दरकिनार हो कांग्रेस के पाले में खिसक गया था। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए मायावती नें अंततः एक बार फिर दलितों की ओर रूख करते हुए सवर्णों से किनारा करना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में मायावती नें सोशल इन्जीनियरिंग के कथित जनक सतीश मिश्र को सत्ता के गलियारे से दूर तक दलितों को यह संदेश देनें का यह अथक प्रयास किया है कि- दलितों को छोड़कर राजनीति में टिके रहना बसपा के लिए असंभव है। बसपा का दलितों के प्रति पुनः उमड़ा प्रेम तथा सवर्णों को किनारे करनें की रणनीति एवं दलित आंदोलन में जुटी उक्त पत्रिका के संयुक्त प्रयास का सूक्ष्मतः अवलोकन पर अन्ततः यह स्पष्ट होनें में देर नहीं लगती कि मायावती सरकार का सर्वजन का नारा बुरी तरह से फ्लाप हो गया है तथा उसके मन में दलितों के प्रति मोह एक बार पुनः हिलोरें मारनें लगा है।

उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए अंततः यहाँ यह कहना गलत न होगा कि श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज नें सही लिखा है- ‘उधरे अंत न होय निबाहू। कालिनेमि जिमि रावन राहू’। अर्थात- कोई राक्षस भले ही सन्त भेष धारण कर लोगों को दिग्भ्रमित करनें का दुष्चर्क रचे, कुछ समय तक वह भले ही अपनें स्वांग में कामयाब रहे पर बहुत जल्द ही उसका राक्षसी स्वरूप लोगों के सामनें आ ही पाता है। कुछ इसी तरह की लोकोक्ति आम जनमानस में प्रचलित हैं कि- लोहे पर सोनें की पालिस कर कुछ समय के लिए लोहे को सोना प्रदर्शित कर लिया जाय पर सोनें का रंग उतरते ही लोहा पुनः अपनें असली स्वरूप में आ ही जाता है। उपरोक्त दोनों ही तर्क उत्तर प्रदेश में तथाकथित ‘सर्वजन सरकार’ की मुखिया मायावती एवं उनके मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों पर अक्षरशः फिट बैठ रही है।

Add to: del.icio.us | Digg

Comments (38 posted):
on 18 May, 2010 21:04;31

mujhey khabar
2
Mahmood Alam on 18 May, 2010 21:14;25

आप इस लेख के लिए वाकई बधाई के पात्र है अस्थाना भाई. आप ने इस लेख मे सच मुच बा सा पा सरकार और उसके मंत्रियों का असली चेहरा सामने ला दिया है. लानत है ऐसे लोगों पर जो अधकचरी जानकारी के आधार पर इस तरह से समाज को दिग्भ्रमित कर रहे है.
5
Arjun Sharma on 18 May, 2010 22:05;11

बधाई अस्थाना जी व संजय तिवारी जी को एक ने लिखने की हिम्मत दिखाई, दुसरे ने छापने की
5
Ratan Singh Shekhawat on 18 May, 2010 22:28;44

लानत है ऐसे लोगों पर जो अधकचरी जानकारी के आधार पर इस तरह से समाज को दिग्भ्रमित कर रहे है.
3
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा निरंकुश, सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) on 18 May, 2010 23:17;14

ऐसा लगता है कि उक्त लेख के लेखक श्री अस्थाना जी ने न तो इन धर्मग्रंथों को पढा है, जिनके बारे में उक्त पत्रिका में कथित रूप से लिखा गया है और न हीं श्री अस्थाना जी को इस बात का ज्ञान है कि तुलसीदास ने जिन लोगों को राक्षस कहा था, वे कौन थे? बल्कि ऐसा लगता है कि येन-केन प्रकारेण लेखक महोदय माया के माया राज का विरोध और दलितों के प्रति अपने मन में उमड रहे विक्षोभ एवं गुस्से का ही इजहार कर रहे है!

मुझे उक्त पत्रिका या पत्रिका के प्रकाशकों के प्रति किसी भी प्रकार की सहानुभूति नहीं है, लेकि न अम्बेडकर टुडे नामक किसी पत्रिका में ऐसी बातें प्रकाशित होने पर श्री अस्थानाजी को इतनी अपत्ती हो रही है, जबकि इससे पूर्व इनसे भी कडी और कठोर बातें हिन्दू धर्म के बारे में अनेक ब्राीमण एवं क्षत्रीय लेखकों द्वारा लिखी जा चुकी हैं। दलित लोग तो उन्हीं बातों को दोहरा रहे हैं।

यदि जानकारी नहीं है तो कुछ बातें मैं बतला देता हँू, निम्न शीर्षकों से ही पता चल जायेगा कि इनमें क्या-क्या लिखा गया होगा-

देश की प्रसिद्ध पत्रिका सरिता एवं मुक्ता जिन्हें घर-घर में पढा जाता है के प्रकाशक-विश्व विजय प्राईवेट लिमिटेड, एम-१२, कनाट सरकस, नयी दिल्ली के द्वारा प्रकाशित पुस्तक-हिन्दू समाज के पथभ्रष्टक तुलसीदास-को पढकर देखें।

इसी प्रकाशक की दूसरी पुस्तक-क्या बाूल की भीत पर खडा है हिन्दू धर्म-पुस्तक (लेखक-डॉ. सुरेन्द्र कुमार शर्मा) में प्रकाशित प्रमुख आलेखों के शीर्षक के नाम यहाँ पर दर्शा रहा हँू। इससे बहुत कुछ ज्ञान हो जायेगा। देखें-

-स्त्री को वेदों में रण्डी और रॉड कहा गया है।

-गर्भाधान संस्कार : ब्राह्मणों का विकार-धर्म के नाम पर यौन तृप्ति, अश्लील विवरण.....

-दीवाली : ....रामकथा से सम्बन्ध नहीं... ब्राह्मणों की रोटी का प्रबन्ध...

-अश्वमेघ : हिंसा और अश्लीलता का तांडव नृत्य-घोडे के अंग काटने का नियम, मांस का बंटवारा......

-गायत्री मन्त्र : अनर्गल प्रलाप...

-पराशर स्मृति : आजीविका के लिये...

-हिन्दू धर्म : सती प्रथा को बढावा, कुरूतियों के स्त्रोत धर्मग्रंथ, पशु से भी बदतर औरत....

-दहेज और हिन्दू धर्म : वेदों में दहेज का बखान

-हिन्दू धर्म एवं भारतीय कानून : जातिपांति और छुआछूत, भेदभावपूर्ण व्यवहार, नियोग के नाम पर व्यभिचार, सती प्रथा, हत्या, आत्महत्या का उपदेश, पढने पर प्रतिबन्ध.....

-आचार्य आर्यभट्ट : वेदों की महिमा के लिये सच्चाई का दफन...

-प्राचीन भारत में खगोलविज्ञान : सच्चाई को झुठलाने का प्रयास...लोगों को मूंडने का सिलसिल..

-उपनिषद : क्या ये दर्शन धर्मग्रंथ हैं-अश्लीलता की झलक, ब्रह्मानन्द बनाम कामानन्द, बहुपत्नीबाद का उद्‌घोष, अवैज्ञानिक कल्पनाएँ, अपराध विज्ञान....

-वेदों में विज्ञान : विज्ञान विरुद्ध बातें, वेदों में पृथ्वी खडी है, बचकाना संवाद, अंध विश्वास पैदा करने वाले....

उपरोक्त के अलावा भी अनेकानेक ढेरों पुस्तकें हैं, जिनमें वे ही बातें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनके बारे में अम्बेडकर टुडे में प्रकाशित होने की बात कहीं गयी है और जिनके आधार पर सामाजिक माहौल खराब होने की आशंका लेखक द्वारा जताई गयी हैं। यदि अभी तक ऐसा नहीं हुआ तो आगे भी कुछ नहीं होने वाला है।

मैं नहीं जानता कि कौन सही है और कौन गलत है, लेकिन इतना तो मैं भी कह सकता हँू कि वेदों के अनुसार हिन्दू ऋषी और ब्राह्मण गाय, बैल, अश्व (घोडे) के मांस और शराब का सरेआम सेवन करते थे। लेकिन इसमें कोई शर्म की या हायतौबा मचाने वाली बात नहीं है। यदि ऐसा था तो था। मांस खाने वाले और शराब का सेवन करने वाले बुरे होते हैं, ऐसा जरूरी नहीं है।

इसके अलावा यह भी एक तथ्य है कि हमारे देश के पूर्वजों में चाहे कितने ही अवगुण रहे हों, वे रहेंगे तो पूर्वज ही। इसमें बुरा मानने की कोई बात नहीं होनी चाहिये। हाँ इस बहाने मायावती पर निशान साधने का लेखक को अच्छा मौका मिल गया है।

जहाँ तक इस लेख पर लिखी गयी टिप्पणियों का सवाल है तो हमारे देश में नब्बे प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिन्हें जिन विषयों का ज्ञान नहीं होता है, उन विषयों पर वे बढचढकर अपनी राय देते हैं। ऐसे लोगों को मध्य प्रदेश के एक कवि ने-रायचन्द-नाम दिया है। इन लोगों को राय देने की बीमारी होती है।

अन्त में यह और कि मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पडता कि हिन्दू धर्म के बारे में कोई क्या कहता है या इस्लाम या इसाईयत के बारे में कोई क्या राय रखता है। क्योंकि इससे न तो मेरे इरादे बदल सकते हैं और न हीं इससे किसी धर्म की वास्तविकता को बदला जा सकता है। वर्षा में अनेक प्रकार के मैढक टर्राते हैं, उन पर कोई ध्यान नहीं देता है और बर्षात्‌ का मौसम समाप्त होते ही ये मैंढक कहीं नहीं दिखते।
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा निरंकुश, सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है। इसमें वर्तमान में 4280 आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : ०१४१-२२२२२२५ (सायं : ७ से ८)
-5
anjule on 19 May, 2010 11:26;32

ऋग्वेद संहिता में कहीं से ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि यह देववाणी है, बल्कि इसके अध्ययन से पता चलता है कि यह पूरी शैतानी पोथियाँ हैं। ...........
sahi to kaha hai.........shoshiton ka khun chushne ki masine to hain ye dharm shastr......
-5
on 19 May, 2010 16:38;26

jis dharm me janm lekar ninda kar rahe ho bhala apse bhala dusht koun hoga?
4
एक अलग पक्ष on 19 May, 2010 17:34;35

लेकिन अभी तक तय नहीं हुआ है कि दलित और आदिवासी भी हिन्दू होते है. यह तो हिन्दू पंडितों का ऐसा दावा भर है, सच्चाई पर हो तो सब सामने आ जाएगा.
-5
दिलीप मंडल on 19 May, 2010 19:16;34

भारतीय कानून के मुताबिक जो भी किसी और धर्म को नहीं मानता, वह हिंदू है। इसलिए अगर मैं किसी धर्म को नहीं मानता तो भी मैं हिंदू हूं और चूंकि आदिवासी किसी अन्य स्थापित धर्म को नहीं मानते, इसलिए वे भी हिंदू गिने जाते हैं, जबकि वे हिंदू धर्म का कुछ भी नहीं मानते- न वर्ण व्यवस्था, न पुनर्जन्म। इन दो बातों को न माने वह हिंदू कैसे हो सकता है।
-3
नीरज दीवान on 19 May, 2010 23:38;49

यह अप्रत्याशित नहीं है। कबीरदास से लेकर पेरियार और अब कंचन इलाहा तक कई लोगों ने सनातन धर्म को निशाना बनाया है। कई बार यह ठीक मालूम होता है और कभी असहनीय लगता है। किंतु सनातन मूल्य सतत संपन्न होते रहे। हम अवैज्ञानिकता से वैज्ञानिकता की ओर बढ़ते रहे। असतो मा सदगमय
वेद-पुराणों में जो भी अवैज्ञानिक और असहज मालूम पड़ता है उसे अस्वीकार कर आधुनिक विचारधारा को अंगीकार करना ही सच्चे हिन्दुत्व का परिचायक है।
इस तरह की बातें छापकर समाज को बांटा जाता है। जातियां टूटती नहीं बल्कि जातियों के बीच की खाई चौड़ी होती है। वोट बैंक मज़बूत किए जाते हैं.
8
1 2 3 4 total: 38 | displaying: 1 - 10
Post your comment
Your name:
Your e-mail address:
Your website:
Add your comments:

Type the two words:




Type in Hindi (हिन्दी में कमेन्ट करने के लिए यहां रोमन में लिखिए यह अपने आप हिन्दी में बदल देगा.)

Title :
Body

Powered by Vivvo CMS v4.1.2
Share |
Email to a friend
Print version

ईमेल से विस्फोटः अपना ईमेल यहां भरें और सब्सक्राइब करें:




Delivered by FeedBurner

Author info

S A Asthana
पत्रकारिता को बतौर आंदोलन इस्तेमाल करनेवाले शिव आसरे अस्थाना धर्म के नाम पर होनेवाले धंधे के खिलाफ लगातार अभियान चलाये रखते हैं. वर्तमान समय में लखनऊ से विविध पत्रिकाओं का प्रकाशन और लेखन.
Rate this article
4.20
More from बड़ी खबर

नये निजाम के दामन पर है ज्यादा बड़ा दाग
मुंबई। महाराष्ट्र के नए निजाम भी कोई दूध के धुले नहीं हैं। कांग्रेस आलाकमान ने अशोक चव्हाण को फर्जीवाड़े से फ्लैट पाने के आरोप में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की गद्दी से हटा दिया। लेकिन नए मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भी उसी तरह के फर्जीवाड़े में गले तक डूबे हुए हैं। उन्होंने जितने बड़े बड़े झूठ बोलकर सरकार से फ्लैट हथियाए हैं वे कांग्रेस के लिए ज्यादा दागदार हैं।...
सलवा जुड़ुम की खामोश विदाई
नक्सल समस्या से जूझने के लिए तैयार की गयी सलवा –जुडूम नाम की सामाजिक दीवार का इस तरह धीरे-धीरे धसक जाना बहुत ही निराशा-जनक है। यदपि यह भी सत्य है की ,इसकी बुनियाद बहुत ही कमजोर थी। अधिकृत रूप से सन२००५ में सरकार द्वारा शुरू किये जाने के बाद से ही ये विवादास्पद रही है और ये विवाद ही इसको सतत रूप से कमजोर करते रहें, जबकि ये प्रयास निसंदेह अच्छा था।...
राम की नहीं है जन्मभूमि
हिन्दुओं का यह विश्वास है कि अयोध्या राम जन्मभूमि है, किन्तु यह बात संदेह उत्पन्न करती है क्योंकि हिन्दू धर्म के किसी प्राचीन ग्रंथ में इसका कोई ऐसा वर्णन नहीं मिलता है जिसे साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। हिन्दुओं के किसी भी धर्मग्रंथ में ऐसा नहीं लिखा गया है कि अयोध्या में अमुक स्थान पर राम का जन्म हुआ था, वहां जाकर आराधना करनी चाहिए। ...
बेटे को ही टिकट नहीं दिला सके तो किस बात के पार्टी अध्यक्ष
डॉ चन्द्र प्रकाश ठाकुर जब बिहार भाजपा के अध्यक्ष बनाये गये थे तभी कई तरह की आशंकाएं जताई गयी थीं कि आखिर इस उम्र में वे क्या कर पायेंगे? हुआ भी वही. पार्टी ने बतौर अध्यक्ष उनको कितनी मान्यता दी इसका अंदाज इसी से लग जाता है कि वे अपने ही बेटे को टिकट नहीं दिला सके, जो कि पार्टी में पसरते परिवारवाद के कारण उनका नैतिक हक बनता था, सो इस्तीफा दे दिया. ...
सभी दलों को साधने में सफल रहे मुंडा
झारखण्ड में सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने पहला मंत्रिमण्डल विस्तार किया है. पहले विस्तार में उन्होंने नौ मंत्रियों को शामिल किया है. जैसा कि समझा जा रहा था कि मंत्रिमण्डल विस्तार के बाद उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन मुंडा ने सीधे विधायकों का चयन करने की बजाय पार्टी अध्यक्षों पर नाम सुझाने का जिम्मा छोड़ दिया जिसके कारण उनकी परेशानी कम हो गयी....
सरकार रहे या जाए, नींद पूरी आये
कर्नाटक में भाजपा सरकार संकट में है. हालात इतने बदतर हो रहे हैं कि सरकार बचाना मुश्किल है. भारतीय जनता पार्टी के "क्राइसिस मैनेजर" मीडिया में खबरें चलवा रहे हैं कि उनके रातों की नींद हराम हो गयी है और किसी भी कीमत पर वे लोग कर्नाटक की सरकार को बचा लेना चाहते हैं. लेकिन हकीकत यह नहीं है. ...
कर्नाटक में राज्यपाल रूल
हंसराज भारद्वाज कर्नाटक के राज्यपाल बनाकर क्यों भेजे गये? क्या कांग्रेस दक्षिण में भाजपा के प्रवेश को कर्नाटक में ही छिन्न भिन्न कर देना चाहती थी? शायद नहीं. हंसराज भारद्वाज को दिल्ली से दरबदर इसलिए किया गया क्योंकि क्वात्रोच्चि की आलोचना करके वे दस जनपथ के विश्वासपात्र नहीं रह गये थे. न्यायालयों में जजों की नियुक्तियों पर पक्षपात के आरोप भी लगे थे, शायद इसीलिए यूपीए-2 में उन्हें मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली. ...
आदिवासी और अल्पसंख्यक नेता की खोज में है राहुल गाँधी
मध्य प्रदेश की राहुल गाँधी की तीन दिवसीय यात्रा राहुल के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और सिमी की समानता के बयान से सरगर्म रही, तो वही राहुल द्वारा कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश से दस आदिवासी और दस अल्पसंख्यक नेता की खोज का ऐलान भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। सिमी से तुलना के बयान ने तो कल भोपाल में भा.जा.पा. प्रदेश कार्यकारीणी के बैठक में अन्य मुद्दों को पीछे छोड़ दिया सबने ने राहुल के बयान की निंदा को प्राथमिकता दी और साथ मुख्य –मंत्री शिवराज से ये सवाल भी पूछा गया की राहुल को राज्य अतिथि का दर्जा क्यों?...
एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सभा में गूंजी हिन्दी
बहुत साल बाद संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी भाषा में जोरदार तरीके से भारत की बात को हिन्दी में कहा गया. संयुक्त राष्ट्र में भारत के डेलीगेशन के सदस्य के रूप में पूर्व भाजपा अध्यक्ष, राजनाथ सिंह ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर अपना हिन्दी में भाषण दिया जिसे सुनकर वहां मौजूद पुराने लोगों को अटल बिहारी वाजपेयी का करीब ३२ साल पहले दिया गया वह भाषण याद आ गया जो उन्होंने विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट में दिया था ....
भारत के साथ हमारा मिलन अधूरा-उमर
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कश्मीर समस्या के राजनीतिक हल पर जोर देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर का भारत संग पूर्ण विलय नहीं हुआ है। हमारा सशर्त अर्धमिलन हुआ है। इस समस्या का हल विशिष्ट तरीके से ही निकाला जा सकता है, जो राज्य के तीनों क्षेत्रों के लोगों के साथ भारत-पाक को भी मान्य हो।...
खेल तो हो रहा है पर देखनेवाला कोई नहीं
राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ी धुआंधार प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उनकी जीत पर जश्न मनाने वाले दर्शक नदारद हैं. जिस सुरक्षा व्यवस्था को अखबारों ने दिल्ली का दम बताया था वही सुरक्षा व्यवस्था अब खेलों के लिए मुसीबत बन गया है. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था, दूरदराज स्टेडियमों और टिकट संबंधी मामलों की वजह से स्टेडियम नहीं पहुंच पा रहे हैं।...
कर्नाटक में फिर शुरू हुई किट-किट
कर्नाटक में बीजेपी का नाटक फिर शुरू हो गया। दक्षिण भारत में पहली बार किला फतह किया पर कुनबे में ऐसी कलह मची, दो साल में ही किले की चारदीवारी दरकने लगी है। अब बीजेपी के डेढ़ दर्जन एमएलए बगावत पर उतर आए हैं। इन बगावती विधायकों ने गवर्नर को चिट्ठी लिख समर्थन वापसी का एलान कर दिया है तो येदुरप्पा ने भी चार असंतुष्ट मंत्रियों को फौरन केबिनेट से बर्खास्त कर दिया है।...
राहुल बाबा की नजर में जैसे सिमी वैसे ही आरएसएस
राहुल गांधी ने नया सुर्रा छोड़ दिया है। प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी और आरएसएस को एक ही तराजू में तोल दिया। दो दिन पहले मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में राहुल ने कांग्रेस में आने वाले लोगों से बेहिचक कह दिया था। आरएसएस और सिमी की विचारधारा छोड़कर आने वालों को ही कांग्रेस में जगह मिलेगी। बुधवार को भोपाल में जब राहुल के बयान का मतलब पूछा गया तो राहुल ने कह दिया- आरएसएस और सिमी दोनों ही कट्टरवादी संगठन। वैचारिक कट्टरता की दृष्टि से इनमें कोई फर्क नहीं।...
बाबरी विध्वंस को फैसले से न जोड़े कांग्रेस
भाजपा ने कहा है कि अयोध्या में स्वामित्व मामले के फैसले को कांग्रेस बेवजह बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाए जाने से जोड़ रही है जबकि वह अलग आपराधिक मामला है जिसकी कानूनी प्रक्रिया जारी है। पार्टी प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने नई दिल्ली में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा, ‘‘जहां तक अभी के निर्णय का सवाल है तो उच्च न्यायासय ने कुछ दीवानी मामलों पर यह फैसला सुनाया है और इसका हम स्वागत करते हैं।‘‘ उन्होंने कहा कि ये दीवानी मामले कभी भी बाबरी मस्जिद ढहाए जाने से संबंधित नहीं थे। कांग्रेस दोनों मामलों को जोड़ने का प्रयास कर रही है, जिसका कोई तुक नहीं है।...
कांग्रेस के लिए कठिन साबित हो रहा है अयोध्या पर फैसला
अयोध्या पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ का फैसला कांग्रेस को न उगलते बन रहा न निगलते। मुलायम के बाद मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी [माकपा] की तरफ से फैसले पर हुई राजनीति ने कांग्रेस की अल्पसंख्यक वोटों की चिंता बढ़ा दी है। पार्टी इन दलों की तरह फैसले पर प्रतिक्रिया भी नहीं जता सकती। ऐसे में उसने अदालत के बाहर इस विवाद के निपटारे की पैरवी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक किसी अंतिम निष्कर्ष पर न पहुंचने की अपील करके अपनी खाल बचाने की कोशिश की है। यही नहीं, 1992 में विवादित ढांचा गिराने के लिए भाजपा पर जोरदार हमला बोलकर उसने दूसरे दलों से लंबी लकीर खींचने की कोशिश भी की है।...
मुसलमानों ने कहा: माहौल बिगाड़ रहे हैं मुलायम
अयोध्या विवाद पर हाईकोर्ट के फैसले को लेकर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की टिप्पणी मुसलमानों और विशेष रूप से मुस्लिम धर्मगुरुओं को नागवार गुजरी है। अधिकांश मुस्लिम उलमा का कहना है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर किसी को भी ऐसी बयानबाजी नहीं करनी चाहिए जो राजनीति से प्रेरित हो और जिससे माहौल बिगड़ने की आशंका हो।...
शिवराज के राज में राहुल राजकुमार
राजनीतिक अदावत अपनी जगह लेकिन राज्य का आतिथ्य सबसे ऊपर. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राहुल गांधी के मध्य प्रदेश में प्रस्तावित दौरे के दौरान उनके स्वागत सत्कार में कोई कमी नहीं रखना चाहते इसलिए उन्हें राजकीय अतिथि का दर्जा दिया है. ...

Tags
No tags for this article
latest on visfot.com
सुदर्शन का (कु) दर्शन
सीआईए नहीं केजीबी एजंट कहिए जनाब
सोनिया का सच जान बेकाबू क्यों होते हो?
नये निजाम के दामन पर है ज्यादा बड़ा दाग
अजमेर चार्जशीट और संघी उछल-कूद
अपने होने पर ही हैरान
भद्दा और बेदम रहा संघ का विरोध प्रदर्शन
एनसीपी के 'दादा' का दांव
पीएमओ वाले पृथ्वीराज
गोली लगने के बाद क्या गांधी ने कहा था- हे राम ?
1 2 3 4 5 > Displaying 1 - 10 of 3116
सर्वाधिकार (अ)सुरक्षित
विस्फोट.कॉम में प्रकाशित सामग्री पर हमारी ओर से कोई कापीराइट नहीं है.

बड़ी खबर बात करामात परत-दर-परत आमने-सामने राजनीति कारपोरेट मीडिया बियाबान में शोर जनता दरबार भारत की कहानी आदमीनामा
Home | Set as homepage | Add to favorites | Rss / Atom | Archive
Powered by Vivvo CMS v4.1.2
     
 
what is notes.io
 

Notes.io is a web-based application for taking notes. You can take your notes and share with others people. If you like taking long notes, notes.io is designed for you. To date, over 8,000,000,000 notes created and continuing...

With notes.io;

  • * You can take a note from anywhere and any device with internet connection.
  • * You can share the notes in social platforms (YouTube, Facebook, Twitter, instagram etc.).
  • * You can quickly share your contents without website, blog and e-mail.
  • * You don't need to create any Account to share a note. As you wish you can use quick, easy and best shortened notes with sms, websites, e-mail, or messaging services (WhatsApp, iMessage, Telegram, Signal).
  • * Notes.io has fabulous infrastructure design for a short link and allows you to share the note as an easy and understandable link.

Fast: Notes.io is built for speed and performance. You can take a notes quickly and browse your archive.

Easy: Notes.io doesn’t require installation. Just write and share note!

Short: Notes.io’s url just 8 character. You’ll get shorten link of your note when you want to share. (Ex: notes.io/q )

Free: Notes.io works for 12 years and has been free since the day it was started.


You immediately create your first note and start sharing with the ones you wish. If you want to contact us, you can use the following communication channels;


Email: [email protected]

Twitter: http://twitter.com/notesio

Instagram: http://instagram.com/notes.io

Facebook: http://facebook.com/notesio



Regards;
Notes.io Team

     
 
Shortened Note Link
 
 
Looding Image
 
     
 
Long File
 
 

For written notes was greater than 18KB Unable to shorten.

To be smaller than 18KB, please organize your notes, or sign in.